यूपी के बेरोजगारों को काम के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा में इस बार पिछले वित्तीय वर्ष से करीब 900 करोड़ रुपये ज्यादा मिलेंगे। केंद्र सरकार ने 2017-18 के लिए 18 करोड़ मानव दिवस के काम को मंजूरी दे दी है। यह पिछले साल की अपेक्षा तीन करोड़ मानव दिवस अधिक है।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में 15 करोड़ मानव दिवस के श्रम बजट को मंजूरी दी थी। इसके लिए करीब 4,350 करोड़ रुपये मिलने चाहिए। पर, काम के आधार पर केंद्र ने प्रदेश को 3,677.82 करोड़ रुपये दिए। यह पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा रहा।
हालांकि केंद्रांश व पिछले साल की बची रकम (ओपनिंग बैलेंस) को शामिल कर मनरेगा में 4,249.62 करोड़ रुपये खर्च हुए। चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र ने 18 करोड़ मानव दिवस के श्रम बजट को मंजूरी दी है।
इसके लिए तैयार कार्ययोजना के हिसाब से काम होने पर केंद्र को 5,250 करोड़ रुपये देने होंगे। यह पिछले वित्त वर्ष की अपेक्षा 900 करोड़ रुपये अधिक होगा।
हालांकि केंद्रांश व पिछले साल की बची रकम (ओपनिंग बैलेंस) को शामिल कर मनरेगा में 4,249.62 करोड़ रुपये खर्च हुए। चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र ने 18 करोड़ मानव दिवस के श्रम बजट को मंजूरी दी है।
इसके लिए तैयार कार्ययोजना के हिसाब से काम होने पर केंद्र को 5,250 करोड़ रुपये देने होंगे। यह पिछले वित्त वर्ष की अपेक्षा 900 करोड़ रुपये अधिक होगा।
पिछले चार वित्तीय वर्ष में मनरेगा में खर्च
वित्तीय वर्ष--खर्च रकम (करोड़ रुपये में)
2016-17--4249.62
2015-16--2976.11
2014-15--3135.10
2013-14--3446.17
महिलाओं की भागीदारी 33 फीसदी पार
मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की पहल का अच्छा असर सामने आया है। मनरेगा के अंतर्गत 2016-17 पहला वित्तीय वर्ष है, जिसमें 33 फीसदी से अधिक महिलाओं की भागीदारी रही। इसके पूर्व कभी भी महिलाओं की भागीदारी 30 फीसदी नहीं थी। दूसरी ओर अनुसूचित जाति व जनजाति की मनरेगा में हिस्सेदारी घटी है।
महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
वित्तीय वर्ष -- प्रतिशत
2016-17--33.22
2015-16 -- 29.52
2014-15 -- 24.77
2013-14--22.17
2016-17--4249.62
2015-16--2976.11
2014-15--3135.10
2013-14--3446.17
महिलाओं की भागीदारी 33 फीसदी पार
मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की पहल का अच्छा असर सामने आया है। मनरेगा के अंतर्गत 2016-17 पहला वित्तीय वर्ष है, जिसमें 33 फीसदी से अधिक महिलाओं की भागीदारी रही। इसके पूर्व कभी भी महिलाओं की भागीदारी 30 फीसदी नहीं थी। दूसरी ओर अनुसूचित जाति व जनजाति की मनरेगा में हिस्सेदारी घटी है।
महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
वित्तीय वर्ष -- प्रतिशत
2016-17--33.22
2015-16 -- 29.52
2014-15 -- 24.77
2013-14--22.17
100 दिन काम करने वाले परिवारों की संख्या घटी
मनरेगा में किसी भी परिवार के लोग 100 दिन का काम मांग सकते हैं। मगर, यह संख्या तेजी से घट रही है। बीते वित्त वर्ष में यह संख्या पिछले चार सालों में सबसे कम रही। 2013-14 से 2015-16 तक हर साल एक लाख से अधिक परिवारों को 100 दिन के रोजगार मिले थे। 2017-18 में यह करीब 41 हजार पर सिमट गया।
एससी-एसटी की हिस्सेदारी घटी (प्रतिशत में)
वित्तीय वर्ष--एससी--एसटी
2016-17--32.02--0.94
2015-16--34.79--1.09
2014-15--34.69--0.82
2013-14--35.08--1.03
वित्तीय वर्ष--100 दिन रोजगार वाले परिवार
2016-17--40,957
2015-16--1,85,779
2014-15--1,09,772
2013-14--1,60,402
काम न करने वाली पंचायतों की संख्या घटी
ऐसी भी ग्राम पंचायतें हैं, जो विभिन्न कारणों से मनरेगा का काम नहीं कर रही हैं। इस बार ऐसी ग्राम पंचायतों की संख्या घटकर न्यूनतम स्तर पर आई है।
2014-15 से 2016-17 के बीच मनरेगा से काम न करने वाली पंचायतों की संख्या क्रमश: 7699, 10024, 7235 व 1191 रही।
एससी-एसटी की हिस्सेदारी घटी (प्रतिशत में)
वित्तीय वर्ष--एससी--एसटी
2016-17--32.02--0.94
2015-16--34.79--1.09
2014-15--34.69--0.82
2013-14--35.08--1.03
वित्तीय वर्ष--100 दिन रोजगार वाले परिवार
2016-17--40,957
2015-16--1,85,779
2014-15--1,09,772
2013-14--1,60,402
काम न करने वाली पंचायतों की संख्या घटी
ऐसी भी ग्राम पंचायतें हैं, जो विभिन्न कारणों से मनरेगा का काम नहीं कर रही हैं। इस बार ऐसी ग्राम पंचायतों की संख्या घटकर न्यूनतम स्तर पर आई है।
2014-15 से 2016-17 के बीच मनरेगा से काम न करने वाली पंचायतों की संख्या क्रमश: 7699, 10024, 7235 व 1191 रही।
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