भोपाल। प्रदेश में निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण का कानून तो बन गया, लेकिन अभिभावकों को अगले साल (शैक्षणिक सत्र में) भी राहत नहीं मिलेगी। दरअसल, शासन ने अभी तक स्कूलों पर कार्रवाई के नियम नहीं बनाए हैं। इसलिए स्कूलों की मनमानी पर नियंत्रण भी संभव नहीं है। राज्य शासन मार्च 2018 तक नियम तैयार करेगा। तब तक निजी स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी होगी।
नौ साल की लंबी लड़ाई के बाद निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण का कानून विधानसभा के श्ाीतकालीन सत्र में पारित हो गया। अब कानून के संचालन के लिए नियम बनाए जा रहे हैं। जब तक नियम नहीं बन जाते हैं, तब तक कानून का लाभ जनता को नहीं मिलेगा।
सूत्र बताते हैं कि कानून का मसौदा तैयार करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों ने नियमों पर भी काम शुरू कर दिया था, लेकिन मसौदे में संशोधन के कारण अब नियमों में भी संशोधन करना पड़ेगा, जो तीन महीने में होने की उम्मीद है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुकर्जी के मुताबिक नियम बनाए जा रहे हैं। जिन्हें जल्द लागू करने की कोशिश की जा रही है।
मार्च से पहले जमा हो जाएगी फीस
निजी स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया मार्च से पहले ही पूरी हो जाती है। ये स्कूल एडमिशन फीस, डोनेशन की राशि पहले ही जमा करा लेते हैं। राजधानी में कुछ ऐसे भी स्कूल हैं, जो एक बार में पूरी फीस भी ले लेते हैं।
सरकारी स्कूलों में होंगे एडमिशन
सरकारी स्कूलों में इस साल एक अप्रैल के बाद एडमिशन होंगे। इन स्कूलों में फीस लेने का प्रावधान ही नहीं है। इसलिए इनमें बच्चों को पढ़ाने वालों को नियमों का कोई फायदा नहीं मिलेगा।
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