कांच की तरह टूटकर फिर अपनेआप जुड़ जाती हैं इस बच्चे की हड्डियां - JBP AWAAZ

Wednesday, 18 October 2017

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कांच की तरह टूटकर फिर अपनेआप जुड़ जाती हैं इस बच्चे की हड्डियां

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अमृतसर । सात वर्षीय गुरताज सिंह की हड्डियां अपने आप ही टूट जाती हैं। कभी खेलते-खेलते तो कभी बैठे-बैठे अचानक उसके साथ ऐसा होता है। हैरानीजनक है कि टूटी हुईं हड्डियां कुछ समय के अंतराल में खुद-ब-खुद जुड़ भी जाती हैं। बचपन में ही गुरताज की किलकारियों में अजीब सा दर्द सुनाई देता। मां-बाप परेशान थे कि आखिर ऐसा क्या है जो इस बच्चे को रुलाता है। मां के आंचल से लिपटा यह बच्चा हर वक्त दर्द से बिलखता रहता।

दरअसल, गुरताज को ऑस्टेवनेट इम्परेफैक्टा (अस्थिजनन अपूर्णता) नामक रोग है। इस बीमारी के कारण उसकी हड्डियां तड़क कर टूट जाती हैं। उसका शारीरिक विकास भी अवरुद्ध हुआ है। कहने को तो वह सात साल का है, लेकिन उसकी उम्र  महज दो से ढाई साल लगती है।

चविंडा देवी के गांव बाबोवाल में जन्मा गुरताज अद्भुत है।  गुरताज की मां पलविंदर कौर बताती हैं कि वर्ष 2010 में जन्म के एक माह  बाद ही गुरताज की पैर की हड्डी फैक्चर हो गई। पैर फूल गया। इसके साथ ही गुरताज को पीलिया ने भी जकड़ लिया। डॉक्टर के पास ले गए तो जांच में पता चला कि बच्चे को ऑस्टेवनेट इम्परेफैक्टा नामक रोग है। इस वजह से उसकी हड्डी में फैक्चर हो रहा है और यह भविष्य में भी होता  रहेगा।

पलविंदर के अनुसार उन्होंने गुरताज की बहुत ज्यादा केयर करनी शुरू कर दी, लेकिन हड्डियां टूटने का क्रम थमा नहीं। कभी कलाई की हड्डी टूट जाती तो कभी पैर की। हैरानी की बात यह भी थी कि कुछ महीने बाद टूटी हुई हड्डी खुद ही जुड़ भी जाती। हालांकि टूटी हुई हड्डी जुड़ने के बाद बच्चे की आकृति बिगाड़ देती। जुड़ी हुई हड्डियां टेड़ी हैं और इससे उसे चलने में भी परेशानी आती है। बच्चे की इस अवस्था से आहत उसके पिता हरपाल ङ्क्षसह की वर्ष 2011 में हार्ट अटैक से मौत हो गई।

पलविंदर बताती हैं कि जन्म के तीन सालों तक गुरताज की हड्डियां पंद्रह दिन के अंतराल में टूटतीं, लेकिन अब तीन से छह महीने के बाद ऐसा होता है। शारीरिक विकृति के साथ जन्मे गुरताज को प्रतिमाह निजी अस्पताल में उपचार के लिए लाते हैं। परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है।

अपने ही वजन से टूट जाती है हड्डी 

गुरताज की हड्डियां इतनी नाजुक हैं कि वह उसके ही भार से चटक जाती हैं। हालांकि उसका मानसिक विकास आम बच्चों की तरह हो रहा है, पर शारीरिक तौर पर वह इनसे भिन्न है। उसकी ग्रोथ थम चुकी है। हड्डियां लचीली होने के कारण गुरताज के शरीर का आकार भी नहीं बढ़ पाएगा। खास बात यह है कि इस मर्ज की कोई दवा नहीं है। उसकी ङ्क्षजदगी कितनी होगी इसका अनुमान डॉक्टर भी नहीं लगा पा रहे।

मां-बाप उसे आंखों से ओझल न होने दें : डॉक्टर 

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विमल कहते हैं कि ऑस्टेवनेट इम्परेफैक्टा रोग पूर्णत: आनुवांशिक है। इसमें हड्डी टूटती रहती है। हालांकि कुछ समय बाद टूटी हुई हड्डी पुन: जुड़ भी जाती है। हड्डी टूटने के कारण बच्चे को असहनीय दर्द होता है। इस रोग में मरीज के दोनों पैर मुड़े रहते हैैं, इसलिए उसे जरा झुक कर चलना पड़ता है। इसका ट्रीटमेंट नहीं है, लिहाजा मां-बाप बच्चे को अपनी आंखों से ओझल न होने दें। उसे चोट आदि से बचाएं।

निजी स्कूल में नहीं मिला प्रवेश

दुखद पहलू यह है कि गुरताज को निजी स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया। स्कूल प्रबंधन का मानना था कि ऐसे बच्चे को ज्यादा केयर की जरूरत होती है, इसलिए उसे पढ़ाना उनके वश की बात नहीं। ऐसी स्थिति में गुरताज को गांव बाबोवाल के सरकारी स्कूल में दाखिल करवाया गया।

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