माता-पुत्र मिलकर करेंगे दुख दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर | Mothers will meet together with suffering and misfortune - JBP AWAAZ

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Wednesday 30 August 2017

माता-पुत्र मिलकर करेंगे दुख दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर | Mothers will meet together with suffering and misfortune

स्कंद पुराण के अनुसार देवी पार्वती को माता मैना व पर्वतराज हिमावन ने आदिशक्ति से वरदान स्वरूप माता गौरी को पुत्री रूप में प्राप्त किया था। माता गौरी ने ही नारद के परामर्श पर भगवान शंकर की तपस्या करके उन्हें पति रूप में प्राप्त किया। माता गौरी ने ही अपने शरीर के मेल से द्वारपाल गणेश को जन्म दिया जिनके सिर का विच्छेदन भगवान शंकर ने किया। देवी गौरी के क्रोधित होने पर गणेश पर गजमुख लगाकर उन्हें सभी देवों ने प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया। वास्तविकता में ये गौरी ही आदिशक्ति हैं, जो संसार में महाकाल शिव के साथ महाकाली रूप में प्रलय तांडव करती हैं। भगवान गणेश इन्हीं महाकाल शिव और महाकाली के जेष्ठ पुत्र के रूप में समस्त संसार में विघ्नविनाशक के रूप में पूजे जाते हैं। 

भगवान शंकर के गणों के मुख्य अधिपति अति प्राचीन देव गणपती का उल्लेख यजुर्वेद व ऋग्वेद में भी आया है। शास्त्र ऐसा कहते हैं की अगर गणेशजी की पूजा हर शुभ कार्य से पहले न हो तो कर्म के निर्विघ्न पूर्ण होने की आशा कम ही रहती है। इशों उपनिषद के अनुसार पंच देवोपासना में भगवान गणपति को स्थान प्राप्त हैं। गणेश जी ही महाभारत व भागवत गीता के लेखक हैं इन्हीं के दांत से सम्पूर्ण महाभारत और भागवत लिखी गई है। भाद्रपद शुक्ल नवमी पर माता गौरी व उनके पुत्र गणेश के पूजन का विधान शास्त्रों में वर्णित है। भाद्रपद शुक्ल नवमी पर गौरी का विसर्जन व अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन होता है अतः भाद्रपद शुक्ल नवमी मूलतः माता व पुत्र के आपसी प्रेम को दर्शाने वाला पर्व माना गया है। 

ज्योतिषशास्त्र के पंचांग खंड के अनुसार गौरी-गणेश का पूजन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की जेष्ठा नक्षत्र व्यापीनी नवमी अथवा दशमी पर किया जाता है। अतः बुधवार दिनांक 30.08.17 को चंद्रमा वृश्चिक राशि और जेष्ठा नक्षत्र में रहेगा। जेष्ठा नक्षत्र मंगलवार दिनांक 29.08.17 को रात्रि 22:57 से प्रारंभ होकर बुधवार दिनांक 30.08.17 रात्रि 01:54 तक रहेगा। अतः गौरी-गणेश पूजन का शुभ महूर्त बुधवार दिनांक 30.08.17 को सुबह 06:01 से लेकर शाम 18:41 तक रहेगा। परंतु सम्पूर्ण दिन का श्रेष्ठ महूर्त शाम 16:18 से लेकर शाम 17:49 तक रहेगा। इस अवधि में अमृत काल भी रहेगा। शाम 16:04 से कौलव नाम का शक्तिशाली करण रहेगा जो हर स्थिति में जीत दिलवाता है इसके साथ ही विष-कुंभ नाम का योग रहेगा जो की अति शुभ है।

विशेष पूजन: गौरी और गणेश का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। गौघ्रत का दीप करें, सुगंधित धूप करेब, गणपती को सिंदूर और गौरी को गौलोचन से तिलक करें, गूढ़ल के फूल चड़ाएं, यज्ञोपवीत अर्पित करें, बिल्व और अशोक के पत्ते चढ़ाएं। गणपती को दूर्वा और माता को शमीपत्र चढ़ाएं। प्रसाद में गणेश को लड्डू और देवी को काला-चना व हलवे का भोग लगाएं। माता को लाल और गणपती को हरी चुनरी चढ़ाएं तथा रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का यथा संभव जाप करें। 

मंत्र: ॐ गौरी-गणेशाय नमः। 

इस विशेष पूजन और उपाय से दुख-दरिद्रता और दुर्भाग्य निश्चित दूर होता है। जिन लोगों को धन-दौलत की चाहत है वह हो जाएंगे निहाल।

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