नई दिल्ली:
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पनगढ़िया ने अपना इस्तीफा पीएमओ को भेज दिया है लेकिन पीएम मोदी के बाढ़ प्रभावति इलाकों के दौरे पर होने की वजह से अभी उनके इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद पीएम मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने देश की नीति और विकास को बढ़ावा देने के लिए योजना आयोग को खत्म कर नीती आयोग बना दिया था।
नीति आयोग के गठन के बाद अरविंद पनगढ़िया को इसका पहला उपाध्यक्ष बनाया गया था। पेशे से कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे पनगढ़िया नरेंद्र मोदी की पसंद थे।
खासबात ये है कि पनगढ़िया नीति आयोग के उपाध्यक्ष पनगढ़िया बनने से पहले एशियन डेललपमेंट बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट भी रह चुके हैं। पनगढ़िया वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ और यूएनसीटीएडी में भी कई पदों पर काम कर चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक पढ़ाई से बेहद लगाव रखने वाले दुनिया के जाने माने अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया फिर से शिक्षा के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं। उनकी इस्तीफे की मुख्य वजह भी अभी यही मानी जा रही है।
अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में भारतीय राजनीतिक अर्थशास्त्र पढ़ाने वाले अरविंद पनगढ़िया को यूनिवर्सिटी की तरफ से लौटने के लिए दो बार नोटिस भी मिल चुका था। नोटिस में उनसे पूछा गया था कि वो शिक्षण के क्षेत्र में लौटना चाहते हैं या नहीं क्योंकि छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
इससे पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रहे रघुराम राजन भी कार्यकाल खत्म होने के बाद शिक्षण के क्षेत्र में लौट चुके हैं। ऐसा माना जाता है कि केंद्र सरकार से मतभेदों के कारण रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाए जाने से मना कर दिया था।
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