नई दिल्ली। डीडीसीए मामले में केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली की मानहानि से जुड़े प्रकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का केस लड़ने को लेकर लोकप्रिय वकील राम जेठमलानी को फीस दिए जाने के सवाल का मामला राजनीति से घिरता नज़र आ रहा है। जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजेठमलानी ने टिप्पणी की थी कि यदि दिल्ली सरकार ने उनकी फीस नहीं दी तो वे सीएम केजरीवाल को गरीब समझकर उनका केस लड़ेंगे। मगर इस मामले में दिल्ली राज्य के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया ने कहा कि इस मामले को उठाकर ईवीएम में हुई कथित धांधली से लोगों का ध्यान हटाए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
उपमुख्यमंत्री सिसौदिया ने कहा कि इस प्रकरण के बिल सरकार देगी दरअसल ये सीएम अरविंद केजरीवाल का निजी प्रकरण नहीं है। उपमुख्यमंत्री सिसौदिया ने कहा कि चुनाव में भ्रष्टाचार रोकना सरकार की जवाबदारी है। ऐसे में यदि सवाल उठाए जाते हें तो फिर यह उनका निजी केस नहीं है और इसकी फीस सरकार देगी। उन्होंने कहा कि ईवीएम घोटाला सामने आ रहा है तो इससे ध्यान हटाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि डीडीसीए मसला तो वर्षों से चल रहा है मगर अब फीस की बात कही जा रही है।
गौरतलब हे कि केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने सीएम अरविंद केजरीवाल समेत आप पार्टी के पांच नेताओं पर मानहानि का वाद दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में दायर किया है। इस मामले में रामजेठमलानी का लगभग 4 करोड़ रूपए का बिल अटका हुआ है। दरअसल जेठमलानी सीएम केजरीवाल का केस लड़ रहे थे।
दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री सिसौदिया को एक नोट में पूछे गए सवाल के उत्तर में कहा गया है कि बिल क्लियरिंग के लिए उपराज्यपाल के हस्ताक्षर की आवश्यकता है। हालांकि बिल पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के हस्ताक्षर थे। दूसरी ओर एक पत्र सामने आया है जिसमें बिलों को उपराज्यपाल के पास न भेजे जाने की बात कही गई थी।
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