नई दिल्ली:
पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक बड़ा और ऐतिहातिक फैसला लिया है। इस फैसले के तहत अब सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े लोगों के हित में काम करने के लिए नेशनल कमीशन फॉर सोशल एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लासेस (NSEBC) का गठन किया जाएगा।
इसके तहत NSEBC एक संवैधानिक संस्था होगी। मंत्रिमंडल ने पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम, 1993 को भी निरस्त कर दिया और उसके तहत गठित संस्था को भंग कर दिया। यह कदम उन मांगों के बाद उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति के लिए राष्ट्रीय आयोग और अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग जिस तरह से शिकायतें सुनता है उसी तरह पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग को ओबीसी वर्ग की शिकायतें सुनने की अनुमति देने के लिए संवैधानिक दर्जा दिया जाए।
जानकारों का मानना है कि इस फैसले से देश में ओबीसी कैटेगरी के लिए भी एससी-एसटी कमीशन की तर्ज पर NSEBC का गठन किया जाएगा। नए क़ानून के तहत ओबीसी सूची में नई जाति का नाम जोड़ने या हटाने के लिए संसद की मंजूरी लेना जरूरी होगा।
बताया जा रहा है कि इस फैसले के बाद अब सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े लोगों के हित में काम किया जाएगा।
NSEBC के गठन की कैबिनेट से मंजूरी के बाद अब केन्द्र सरकार संविधान में संशोधन प्रस्ताव लाएगी। फिलहाल ओबीसी सूची में जातियों को जोड़ने अथवा हटाने का काम सरकार के स्तर पर किया जाता है।
बता दें कि इससे पहले कई बार शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण देने की बात कही गई। बिहार चुनाव और यूपी चुनाव से पहले संघ ने भी इस बात की वकालत की थी कि आरक्षण अब जातीय आधार पर नहीं बल्कि पिछड़ेपन के आधार पर होना चाहिए।
बीच में कांग्रेस पार्टी ने भी इस मांग को उठाया था लेकिन विरोधियों की बयानबाजी की वजह से निजी राय कहकर अपना बयान वापस ले लिया गया। तो क्या केंद्र सरकार का यह क़दम उसी दिशा में है जहां इसबार वो कहकर नहीं बल्कि कर के दिखाना चाह रही है।
केन्द्रीय कैबिनेट की मंज़ूरी इन बिंदुओं पर-
- सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के लिए राष्ट्रीय कमीशन का गठन होगा। इसके लिए संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 338B जोड़ा जाएगा।
- पहले से मौजूद नैशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लासेस एक्ट, 1993 कानून को निरस्त कर दिया जाएगा।
- इस एक्ट के तहत गठित ओबीसी कमीशन को भंग किया जाएगा।
- संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 में अनुच्छेद 342A को जोड़ा जाएगा। इसके तहत ओबीसी सूची में जाति का नाम जोड़ने अथवा हटाने के लिए संसद की मंजूरी लेना आवश्यक होगा।
- संविधान के अनुच्छेद 366 में 26C प्रावधान को जोड़कर देश में सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ेपन की परिभाषा गढ़ी जाएगी।
- संविधान में संशोधन के जरिए नए आयोग नैशनल कमीशन फॉर सोशल एंड एजुकेश्नली बैकवर्ड क्लासेस (NSEBC) का गठन किया जाएगा।
- इस आयोग के लिए एक चेयरपर्सन, एक वाइस चेयरपर्सन और तीन सदस्यों का प्रावधान किया जाएगा।
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