नई दिल्लीः मोदी सरकार जनधन अकाऊंट के जरिए देश के गरीब तबके को फाइनेंशियल सिस्टम में लाना चाहती है, लेकिन अभी बैंकों में करोड़ खाते ऐसे हैं जिनमें जीरो बैलेंस है। उसमें भी प्राइवेट सेक्टर बैंकों का परफॉर्मेंस कहीं ज्यादा खराब है। उनके द्वारा खोले गए हर तीसरे जनधन अकाऊंट में जीरो बैलेंस है।
क्या कहते हैं आंकड़े
फाइनेंस मिनिस्ट्री से मिली जानकारी के अनुसार 8 मार्च तक की रिपोर्ट में जीरो बैलेंस अकाऊंट में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। प्राइवेट सेक्टर के बैंकों ने 90 लाख जनधन अकाऊंट खोले हैं। उसमें से करीब 35 फीसदी अकाऊंट में जीरो बैलेंस है। फाइनेंस मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार पब्लिक सेक्टर बैंकों ने करीब 22.43 करोड़ जनधन अकाऊंट खोले हैं। उसमें से 24.14 फीसदी अकाउंट में जीरो बैलेंस है। जबकि रिजनल रूरल बैंक (आरआरबी) ने सबसे अच्छा परफॉर्मेंस दिया है। उनके द्वारा खोले गए कुल 4.64 करोड़ अकाऊंट में से करीब 21 फीसदी अकाऊंट में जीरो बैलेंस है।
क्या होता है असर
जीरो बैलेंस अकाऊंट होना बैंक और कस्टमर दोनों के लिए अच्छा नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि अकाऊंट होल्डर किसी तरह की बैंकिंग एक्टिविटी नहीं कर रहा है। साथ ही बैंक के लिए भी ऐसे अकाऊंट घाटे का सौदा होते हैं। इसका सीधा इम्पैक्ट यह होता है, कि बैंक इस तरह के प्रोफाइल वाले कस्टमर्स के लिए अकाऊंट खोलने को ज्यादा तरजीह नहीं देता है।
ओवर-ड्रॉफ्ट सुविधा
जनधन स्कीम के तहत अकाऊंट होल्डर्स को 5000 रुपए ओवर ड्रॉफ्ट सुविधा दी गई है। इसके तहत ऐसे लोगों को ओवर ड्रॉफ्ट सुविधा बैंक दे सकते हैं, जिनका अकाऊंट खुलने के बाद पिछले 6 महीने में बैंकिंग ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड अच्छा होगा। अगर किसी अकाऊंट होल्डर के अकाऊंट में जीरो बैलेंस होगा, तो बैंक ऐसे लोगों को ओवर ड्रॉफ्ट सुविधा नहीं देंगे।
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