हिन्दू धर्म में कई देवी- देवता हैं जिनको प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ करने की विधियां भी अलग अलग हैं। उदाहरण के तौर पर मां लक्ष्मी को यदि आप प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनकी पूजा विधि के अनुसार पूजा करने के अलावा आपको श्री लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण भी करना होगा। अतः हम आपको बता दें कि शास्त्रों में ऐसे ही कुछ नियम बताए गए है जिनके अनुसार देवी देवताओं की पूजा की जानी चाहिए-
- शास्त्रों के अनुसार कभी भी सूर्य देव को शंख के जल से अर्ध्य नहीं देना चाहिए।
- रविवार के दिन तुलसी पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। इसके अलावा बिना नहाए कभी तुलसी पत्तों को हाथ नहीं लगाएं। साथ ही तुलसी पत्ता तोड़ने से पहले चुटकी बजा लेना जरूरी होता है।
- गंगाजल को कभी की अपवित्र बर्तन या प्लास्टिक की बोतलों में न रखें। हमेशा गंगाजल को रखने के लिए तांबे के बर्तन का ही इस्तेमाल करें।
- देवी देवताओं की प्रतिमा या मूर्तियों के सामने पीठा दिखाकर कभी नहीं बैठना चाहिए।
- शिवलिंग पर भूलकर भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते कम से कम 11 दिन तक बासी नही माने जाते हैं। अतः इन पर जल का छिड़काव करके पुनः भगवान को चढ़ाय़ा जा सकता है।
- कभी भी फूल भगवान को डायरेक्ट हाथ से अर्पित न करें। इस के लिए पहले फूलों को पवित्र पात्र में रख लें। फिर इसी पात्र में रखकर भगवान को फूल चढ़ाना चाहिए।
- कभी भी ताबें के बर्तनों में चंदन या उसका पानी नहीं रखना चाहिए।
- लोग अक्सर मंदिर में जलते हुए दीप से अपना दीपक जला लेते हैं। ऐसा कभी नही करना चाहिए।
- पूजा पाठ और आरती की समाप्ती के बाद मंदिर की कम से कम तीन परिक्रमाएं जरूर करें।
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