नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के नाम पहला संबोधन किया। अपने संबोधन में कोविंद ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए कहा कि 70 साल पहले आजादी का सपना साकार हुआ। संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा:
-गांधीजी के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक, स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू, आंबेडकर के योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता।
-बाबा साहेब आंबेडकर ने सिद्धांत में रहना सिखाया।
-स्वतंत्रता सेनानियों से हमे देश सेवा की सीख लेनी चाहिए।
-आज देश में संवेदनशील समाज बनाने की जरूरत है, देश के लिए कुछ कर गुजरने का वक्त है।
-मुझे खुशी है कि देश की जनता ने जी.एस.टी. को सहर्ष स्वीकारा है।
-कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण करना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।
-सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ हर तबके तक पहुंचे इसके लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
-2022 तक न्यू इंडिया बनाना है, आधुनिक तकनीक को ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लाना है, नागरिक और सरकार साझीदार बनें।
-बेटे-बेटी में भेदभाव न हो ऐसा समाज बनाने की जरूरत, सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया, बेटियों को सशक्त बनाएं।
-टैक्स देने में गर्व महसूस करना हमारी जिम्मेदारी, सरकार को जो मिलता है उसका उपयोग राष्ट्र निर्माण में होता है।
-गांधीजी के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक, स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू, आंबेडकर के योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता।
-बाबा साहेब आंबेडकर ने सिद्धांत में रहना सिखाया।
-स्वतंत्रता सेनानियों से हमे देश सेवा की सीख लेनी चाहिए।
-आज देश में संवेदनशील समाज बनाने की जरूरत है, देश के लिए कुछ कर गुजरने का वक्त है।
-मुझे खुशी है कि देश की जनता ने जी.एस.टी. को सहर्ष स्वीकारा है।
-कानून का पालन करने वाले समाज का निर्माण करना हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।
-सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का लाभ हर तबके तक पहुंचे इसके लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
-2022 तक न्यू इंडिया बनाना है, आधुनिक तकनीक को ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लाना है, नागरिक और सरकार साझीदार बनें।
-बेटे-बेटी में भेदभाव न हो ऐसा समाज बनाने की जरूरत, सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया, बेटियों को सशक्त बनाएं।
-टैक्स देने में गर्व महसूस करना हमारी जिम्मेदारी, सरकार को जो मिलता है उसका उपयोग राष्ट्र निर्माण में होता है।
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