नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी शुक्रवार(05-05-17) को अपने पड़ोसी देशों को खास तोहफा देते हुए दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसैट-9 को लांच कर दिया। इस उपग्रह को इसरो का रॉकेट जीएसएलवी एफ-09 से लांच किया जाएगा। इस सैटेलाइट के जरिए अब दक्षिण एशियाई देश एक-दूसरे से जानकारी साझा कर सकेंगे।
पड़ोसी मुल्क को होगा फायदा
भारतीय उपमहाद्वीप के देशों के बीच इस तरह के संचार उपग्रह को ज़रूरत काफ़ी समय से महसूस की जा रही थी। वह भी तब जब कुछ देशों के पास पहले से ही अपने उपग्रह हैं। जैसे जंग से तबाह हुए अफ़गानिस्तान के पास एक संचार उपग्रह अफगानसैट है। रिपोर्ट की मानें तो ये भारत का ही बना हुआ एक पुराना सैटेलाइट है, जिसे यूरोप से लीज पर लिया गया है।
2015 में आए भयानक भूकंप के बाद भारत का पड़ोसी मुल्क नेपाल को भी एक संचार उपग्रह की आवश्यकता है। नेपाल, संचार को बढ़ावा देने के लिए दो नए उपग्रह हासिल करना चाहता है। भारत की ओर से इस उपग्रह का प्रक्षेपण होना नेपाल के लिए काफी फायदेमंद होगा। अंतरिक्ष से जुड़ी तकनीक में भूटान काफ़ी पीछे है। साउथ एशिया सैटेलाइट का उसे बड़ा फ़ायदा होने जा रहा है।
6 देश है प्रोजेक्ट का हिस्सा
भारत के अलावा इस प्रोजेक्ट में सार्क के 6 देशों की भी हिस्सेदारी है। श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं। मिली जानकारी के मुताबिक इस उपग्रह को बनाने में करीब 235 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
मोदी ने बताया था तोहफा
गौरतलब है कि सत्ता संभालने के बाद पहली बार ओड़िसा की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने इस सैटेलाइट का ऐलान करते हुए कहा कि था कि ये भारत के पड़ोंसी देशों के लिए एक तोहफा होगा।
12 सालों तक करेगा काम
इस सैटेलाइट के बारे में जानकारी देते हुए आगे किरण कुमार ने बताया कि अंतरिक्ष में प्रक्षेपण के वक्त 2,195 द्रव्यमान का यह सैटेलाइट 12 केयू-बैंड ट्रांसपॉन्डर को ले जाएगा।इस सैटेलाइट को ऐसे डिजाइन किया गया है कि ये अपने मिशन पर 12 सालों तक काम करेगा।
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