प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत सभी राज्यों के जिला अस्पतालों में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करवाने का सपना देश के सामने रखा था. मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार ने भी इसे जोर-शोर से लागू करने का दावा किया था, लेकिन सच्चाई ये है कि केंद्र और राज्य दोनों के हेल्थ मिनिस्टर के गृह जिले में यह योजना दम तोड़ रही है.
सरकार की मंशा थी कि 26 जनवरी से यह योजना शुरु कर दी जाए, पर एमपी में एक अप्रैल 2016 से नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाया गया. योजना के शुरू होने के तकरीबन साल भर बाद न्यूज18 ने रियलिटी चेक किया तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
केंद्र में स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के गृह जिले मंडला में ही हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. हमने जब यहां के जिला अस्पताल का जायजा लिया, तो खुलासा हुआ कि डायलिसिस मशीन यहां चालू हालत में है. लेकिन नियमित रूप से मरीजों को डायलिसिस की सुविधा मिलती नहीं है. कई बार अलग-अलग वजह बताकर डायलिसिस सेंटर बंद रहता है.
मंडला के बाद हमने रूख किया सूबे के स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह के गृह जिले मुरैना का. यहां पिछले एक साल में जिला अस्पताल में डायलिसिस सेंटर शुरू कम और बंद ज्यादा रहा. पिछले एक सप्ताह से तो मशीन खराब होने की वजह से मरीजों को डायलिसिस की सुविधा मिलना ही बंद हो गई है.
बताया जा रहा है कि मशीनें अधिकांश समय खराब होने की वजह से बंद रहती है. इस बार भी मशीन ख़राब होने के कारण यूनिट बंद बताई जा रही है. इस बारे में प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर अशोक गुप्ता का कहना है कि कंपनी को फोन किया गया है, लेकिन अभी तक टेक्निशियन नहीं आया है.
मंडला और मुरैना के अलावा
-छतरपुर
-सिंगरौली
-धार के
जिला अस्पताल के रियलिटी चेक में मशीन खराब होने, टेक्निशियन का अभाव या फिर नियमित रूप से डॉक्टरों के मौजूद नहीं रहने की वजह से डायलिसिस मशीन के काम नहीं करने का खुलासा हुआ.
हालांकि, सूबे के हेल्थ डायरेक्टर केएल साहू का दावा है कि किसी भी जिले में डायलिसिस बंद नहीं है. न्यूज18 ने जब उन्हें जमीनी हकीकत बताई, तो उन्होंने कहा कि डिटेल शेयर कर दीजिए, वह इसकी पड़ताल करेंगे.
एक डायलिसिस पर खर्चा
सरकार की मंशा जिला अस्पताल में मुफ्त डायलिसिस सुविधा उपलब्ध कराने की है, जबकि निजी अस्पताल में यह बेहद खर्चीला है.
-पहली बार डायलिसिस कराने पर 10 से 12 हजार रुपए का खर्चा
-इसके बाद हर बार डायलिसिस करने पर 1200 से 2000 रुपए तक का खर्च
-सप्ताह में दो बार डायलिसिस की जरुरत पड़ती है
जाहिर है जरुरतमंदों को इस बड़े आर्थिक बोझ से बचाने के लिए सरकार यह सौगात देना चाहती थी, लेकिन शिवराज में कम से कम पांच जिलों में तो यह योजना खुद ही दम तोड़ती हुई नजर आ रही है.
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