इन 10 बड़े कारणों से भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती! - JBP AWAAZ

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Saturday 25 March 2017

इन 10 बड़े कारणों से भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती!

नई दिल्ली। भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास कामयाबी की और देश को आगे बढ़ा रहे है। महत्वपूर्ण ढांचागत सुधारों, सामान्य मानसून और बाहरी झटकों में कमी की बदौलत भारत को अब भी दुनिया की सर्वाधिक तेजी से विकसित होती उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो गया है।
तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी रही जो यह दिखाती है कि विमुद्रीकरण के प्रमुख घरेलू जोखिम के बावजूद भी जीडीपी वृद्धि दर पर कोई असर नहीं पड़ा है। भारत को और आगे बढ़ाने और देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए हम आपकों बता रहे है ऐसे 10 बड़े कारण जिनका विश्लेषण करना जरूरी है।
जीडीपी के आंकड़े
28 फरवरी, 2017 को जीडीपी के नए आंकड़े जारी किए गए थे। चालू वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही के दौरान विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्म किया गया है। जून 2016 में मुद्रास्फीति की दर 6 फीसदी थी और दिसंबर 2016 में इसमें 3.6 फीसदी की कमी दर्ज की गई
सर्वोच्च स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार
सरकार ने लगातार राजकोषीय मजबूती को बरकरार रखा है और भारतीय रिजर्व बैंक एक उदार मौद्रिक रुख को बनाए रखे हुए है। चालू खाते का घाटा फिलहाल प्रबंधनीय बना हुआ है और विदेशी मुद्रा भंडार 360 बिलियन डॉलर के अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुका है। बाहरी झटकों पर फिलहाल काबू है। यह भी प्रतीत होता है कि 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को कानूनी रूप से बंद करने के निर्णय का विकास की गति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
राजकोषीय घाटे में आई कमी
व्यापक आर्थिक परिदृश्य में यह एक बेहतर नजर आ रहा है। 2017 के बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.5 फीसदी पर सीमित रखने के लक्ष्य को पा लेने के बाद केंद्रीय बजट में राजकोषीय मजबूती का मार्ग अपनाया गया है। 2017-18 में राजकोषीय घाटे में सकल घरेलू उत्पाद के 3.2 प्रतिशत तक की कमी रहने का अनुमान है। 2017-18 में राजस्व घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 1.9 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया गया है जो 2016-17 में जीडीपी के 2.1 फीसदी था। सुधारों में निरंतर हो रही प्रगति से मध्य अवधि की संभावनाओं में बेहतर सुधार करने के लिए एक स्वस्थ माहौल प्रदान किया जा रहा है।
 वैश्विक चुनौतियों की पहचान
केंद्रीय बजट 2017 में भविष्य की चुनौतियों के रूप में कमोडिटी की कीमतों में अनिश्चिताओं, विशेष रूप से कच्चे तेल, और माल, सेवाओं के वैश्वीकरण तथा अन्य बाहरी क्षेत्रों में होने वाली अनिश्चितताओं की पहचान की गई है। इसके अलावा केंद्रीय बजट में कहा गया है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2017 में नीतिगत दरों में वृद्धि करने के की मंशा से उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं में पूंजी प्रवाह कम हो सकता है और निकासी का प्रवाह अधिक हो सकता है। इसमें कहा गया है कि आर्थिक जोखिम नकारात्मकता की तरफ हैं। प्रमुख घरेलू जोखिम के साथ मुद्रा विनिमय पहल सफलतापूर्वक लागू की जा रही है और आने वाले महीनों में इसमें औऱ मजबूती आने की संभावना है।
आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया का दौर
2016 में सरकार द्वारा कई परिवर्तनकारी सुधार शुरू किए गए जिनमें जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने और इसकी लागू करने में हुई प्रगति, बड़े नोटों का विमुद्रीकरण, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता को लागू करने, मुद्रास्फीति लक्ष्य-निर्धारण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन, वित्तीय सब्सिडी और लाभ के वितरण के लिए आधार बिल को लागू करना इसमें शामिल है। इसके अलावा केंद्रीय बजट में भी कई बड़े सुधारों किए गए। रेल बजट को आमबजट के साथ मिला दिया गया। एक समग्र दृष्टिकोण के उद्देश्य से क्षेत्रों और मंत्रालयों को आवंटित योजना की सुविधा के लिए योजना तथा गैर-योजना वर्गीकरण को समाप्त कर दिया गया।
नोटबंदी का लाभ
विमुद्रीकरण के महत्वपूर्ण दीर्घकालिक लाभ होने की संभावना है। इसमें वित्तीय बचत में वृद्धि, प्रभावशाली अर्थव्यवस्था, डिजिटलीकरण और पारदर्शिता शामिल है। बैंकिंग प्रणाली में मजबूती आने से उधार लेना आसान होगा तथा ऋण के लिए उपयोग में वृद्धि होगी। कड़े कदमों के माध्यम से अवैध वित्तीय प्रवाह पर शिकंजा कसने के प्रयास किए जा रहे हैं। नकदी की उपलब्धता को जल्दी पूरा कर लिया गया।
 मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए प्रभावी कदम
शानदार खाद्य प्रबंधन और सरकार द्वारा मूल्यों की निगरानी करने से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद की है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और कीमतों में स्थिरता बहाल करने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इन कदमों में मूल्य स्थिरीकरण कोष के लिए आवंटन में वृद्धि, दालों के बफर स्टॉक का सृजन, उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा, निर्यात शुल्क लगाए जाना तथा कुछ वस्तुओं पर आयात शुल्क में कमी आदि शामिल है।
आरबीआई की उदार नीति
2016 में, मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन भी शामिल है। यह संशोधन एक मुद्रास्फीति लक्ष्य प्रदान करता है जिसे भारतीय रिजर्व बैंक भारत सरकार के साथ परामर्श करके हर 5 साल में निर्धारित करता है। यह भी एक सशक्त मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के गठन के लिए एक सांविधिक आधार प्रदान करता है। सरकार ने 2016-2021 की अवधि के लिए +/- 2 प्रतिशत के अपेक्षित स्तर के साथ मुद्रास्फीति का 4 प्रतिशत तय किया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक उदार नीति के रुख को बनाए रखा है जिसका असर बाजार पर दिखाई देता है।
 बैंक-बैलेंस शीट को मजबूत करने की कोशिश
बैंकिंग क्षेत्र का प्रदर्शन लगातार नियंत्रण में है। बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में गिरावट के साथ वाणिज्यिक बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। औद्योगिक क्षेत्र के लिए ऋण वृद्धि दर लगातार 1 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है और गैर खाद्य ऋण वृद्धि सुस्त बनी हुई है। सरकार नए दिवालियापन कोड से बैंक बैलेंस शीट को साफ करने को मजबूत नीति को बढ़ावा मिला है।
कीमतों में स्थिरता
केंद्रीय बजट ने राजकोषीय मजबूती के लिए अपनी गहरी प्रतिबद्धता दोहराई है। इस तरह की प्रतिबद्धता से निजी क्षेत्र को मिलने वाले ऋण लागत में कमी आएगी और कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी। राजकोषीय मजबूती की रणनीति के सब्सिडी सुधारों की परिकल्पना की गई है। सब्सिडी के बेहतर लक्ष्य के लिए तेल सब्सिडी और आधार संयोजन के साथ इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। गरीबी को कम करने, वित्तीय समावेशन और व्यापार उदारीकरण बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के साथ संरचनात्मक सुधारों में काफी प्रगति हुई है।
मजबूती से बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था
अंत में यह कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है और वैश्विक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाए हुए है। उदार मौद्रिक नीति के रुख से वर्ष 2017-18 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में और वृद्धि होने की संभावना है।
ये लेखक 1989 बैच के आईएएस अधिकारी और एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी द्वारा दिया गया है जिन्होंने वित्तीय क्षेत्र में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया है। उपरोक्त लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं।

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