नई दिल्ली. यूपी विधानसभा चुनाव 2017 से पहले पीएम मोदी ने एक बड़ा दांव खेल दिया है। ये दांव ऐसा है कि चुनाव में विरोधियों पर काफी भारी पड़ सकता है। मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने कम अवधि के फसल कर्ज पर 660.5 करोड़ रुपए के बकाया सूद को माफ करने का ऐलान कर दिया है। ये माफी पिछले साल नवंबर और दिसंबर के सूद पर लागू होगी।
पीएम मोदी के इस फैसले से किसानों में खुशी की लहर है। पीएम मोदी के इस फैसले उन किसानों को फायदा मिलेगा जिन्होंने सहकारी बैंकों से कर्ज लिया है। ऐसे में अब केंद्र सरकार नाबार्ड को भी अनुदान देगी।
बता दें, विरोधी दल पीएम मोदी के इस फैसले को राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। विरोधी दलों के नेताओं का कहना है कि चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए किसानों को पीएम मोदी वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। ये बिल्कुल गलत है।
रबी की फसल में मिलेगी मदद
फैसले का मकसद नोटबंदी की मार से जूझ रहे किसानों को रबी की फसल के लिए आसान फसल लोन दिलवाना है। इसके लिए सरकार नाबार्ड के जरिये सहकारी बैंकों को अतिरिक्त पैसा मुहैया करवाएगी। ब्याज माफी का फायदा सहकारी बैंक मौजूदा वित्तीय साल में भी किसानों को पहुंचाएंगे। इस फैसले से सरकारी खजाने पर करीब 1060 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है। किसानों के लिए कर्ज पर ब्याज माफी के लिए साल 20016-17 में जारी किए गए 15 हजार करोड़ रुपये पहले ही खर्च किये जा चुके हैं।
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