नई दिल्ली: भारतीय सेना के जवान चंदू बाबूलाल चव्हाण को पाकिस्तान रिहा कर दिया है। भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चंदू बाबूलाल चव्हाण गलती से पाकिस्तानी सीमा में चले गए थे। वहां पर उन्हे बंधक बना लिया गया था। इसके बाद से उन्हें रिहा कराने की कोशिशें की जा रही थीं। वाघा बॉर्डर से भारत आने के बाद उनकी मेडिकल जांच कराई जाएगी।
पाक ने कबूला था चंदू की गिरफ्तारी
कुछ समय पहले रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा था कि भारतीय सैनिक चंदू बाबूलाल चव्हाण को पाकिस्तान से सुरक्षित वापस लाने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव भरे रिश्तों के मद्देनजर पाकिस्तान सरकार का यह कबूलनामा अहम है कि चव्हाण उनके कब्जे में है। इससे पहले, पाकिस्तानी थलसेना ने इस बात से इनकार किया था कि उसने किसी ऐसे जवान को पकड़ा है जो सितंबर में हुए लक्षित हमलों के बाद नियंत्रण रेखा गलती से पार कर गया था।
गलती से LoC पर कर गए थे चंदू
23 वर्षीय चंदू बाबूलाल चव्हाण 37 राष्ट्रीय राइफल्स के जवान हैं। चंदू बाबूलाल चव्हाण ने 29 सितंबर को दोपहर के वक्त LOC पार कर ली थी। यह वही दिन था जब भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने सर्जिकल स्ट्राइक के होने की बात कबूली थी। हालांकि, सेना ने यह भी साफ कर दिया था कि बाबूलाल का स्ट्राइक से कोई लेना देना नहीं था।
सेना में हैं चंदू के पिता और भाई
चंदू बाबूलाल चव्हाण महाराष्ट्र के धुले जिले के वोरबीर गांव के रहनेवाले हैं। उनके पिता का नाम बाशन चौहान है। वह 37वीं राष्ट्रीय रायफल के जवान हैं। उनके भाई भी मिलिट्री में ही हैं। उनकी तैनाती फिलहाल गुजरात में है।
कब हुआ था सर्जिकल स्ट्राइक?
बता दें कि 18 सितंबर को उड़ी में सीमा पार से आए 4 आतंकियों ने आर्मी हेडक्वार्टर पर हमला किया था। जिसमें 19 जवान शहीद हुए थे। हमले के 10 दिन बाद (28 सितंबर की रात) आर्मी के स्पेशल फोर्स के 125 कमांडो हेलिकॉप्टर से एलओसी के पास उतारे गए। कमांडो रेंगते हुए PoK में घुसे और 4 इलाकों में आतंकियों के 7 कैंप तबाह कर दिए थे। इस दौरान 38 आतंकी मारे गए।
No comments:
Post a Comment