नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच गुरुवार को कटक के बाराबती स्टेडियम में तीन मैचों की सीरीज का दूसरा वनडे खेला जाएगा. पुणे वनडे में विशाल लक्ष्य का पीछा करके इंग्लैंड को हराकर भारत का मनोबल ऊंचा है. निश्चित रूप से भारत इस मैच को जीतकर सीरीज पर अजेय बढ़त लेना चाहेगा. कटक में टीम इंडिया का वनडे मैचों में रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा है. भारत को यह मैदान रास आता है. भारतीय टीम ने 2003 से इस मैदान पर कोई मैच नहीं हारा है.
भारत ने बाराबती स्टेडियम में अभी तक कुल 15 वनडे खेले है जिसमें 11 मैचों में विरोधी टीम को शिकस्त दी है. हालांकि 4 मैचों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा है. इसके अलावा इस मैदान पर दो मैच रद्द भी हुए हैं. इस मैदान पर वनडे मैच में पिछली भारत को अंतिम बार 6 नवंबर 2003 को न्यूजीलैंड के हाथों शिक्स्त मिली थी. इसके बाद से यहां लगातार 5 मैच जीते जबकि 1 मैच रद्द हुआ. बाराबती स्टेडियम पर पिछला वनडे दो नवंबर 2014 को खेला गया था जब भारत ने पांच विकेट पर 363 रन बनाकर श्रीलंका को 169 रन से हराया था.
पुणे में ऐतिहासिक जीत के बावजूद भारतीय टीम की गेंदबाजी और बल्लेबाजी में खामियां नजर आईं. दूसरे वनडे में इन 5 बातों पर ध्यान देना होगा –
1. ओपनिंग जोड़ी को देनी होगी ठोस शुरुआत
पुणे वनडे में भारतीय टीम की सलामी जोड़ी ठोस शुरुआत देने में नाकाम रही थी. केएल राहुल और शिखर धवन को जोड़ी पूरी तरह से फ्लॉप रही थी. हालांकि ये दोनों बल्लेबाजों ने भी चोट से उबरने के बाद टीम में वापसी की है लेकिन इनका प्रदर्शन बिल्कुल फीका रहा. राहुल ने जहां महज 8 रन बनाए वहीं शिखर धवन 10 गेंदों पर 1 रन बनाकर डेविड विली का शिकार बने. अपने देश में ऐसा 12 साल बाद हुआ है जब भारतीय ओपनर्स टीम के लिए 10 रन नहीं जोड़ पाए हों. इससे पहले भारत के दोनों सलामी बल्लेबाजों के साथ ऐसा 2005 में हैदराबाद में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुआ था. उस वक्त दोनों मात्र 3 रन जोड़ पाए थे. इससे मिडिल ऑर्डर को नई गेंद का सामना करना पड़ा है. ये बहुत ही चिंताजनक है. ओपनिंग जोड़ी को कटक वनडे में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाना होगा.
2. सिर्फ कोहली का भरोसा करना ठीक नहीं
कप्तान विराट कोहली लगातार हर फॉर्मेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. लक्ष्य का पीछा करते समय उनका प्रदर्शन शानदार रहा है लेकिन ऐसा लगने लगा है कि पूरी टीम कोहली पर निर्भर होने लगी है. पुणे वनडे में अगर केदार जाधव (120 रन) ने कोहली का साथ नहीं दिया होता तो मैच का परिणाम कुछ और ही होता. ऐसे में मिडिल ऑर्डर को रन बनाने होंगे. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो टीम की मुश्किलें बढ़ना तय है.
भारत ने बाराबती स्टेडियम में अभी तक कुल 15 वनडे खेले है जिसमें 11 मैचों में विरोधी टीम को शिकस्त दी है. हालांकि 4 मैचों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा है. इसके अलावा इस मैदान पर दो मैच रद्द भी हुए हैं. इस मैदान पर वनडे मैच में पिछली भारत को अंतिम बार 6 नवंबर 2003 को न्यूजीलैंड के हाथों शिक्स्त मिली थी. इसके बाद से यहां लगातार 5 मैच जीते जबकि 1 मैच रद्द हुआ. बाराबती स्टेडियम पर पिछला वनडे दो नवंबर 2014 को खेला गया था जब भारत ने पांच विकेट पर 363 रन बनाकर श्रीलंका को 169 रन से हराया था.
पुणे में ऐतिहासिक जीत के बावजूद भारतीय टीम की गेंदबाजी और बल्लेबाजी में खामियां नजर आईं. दूसरे वनडे में इन 5 बातों पर ध्यान देना होगा –
1. ओपनिंग जोड़ी को देनी होगी ठोस शुरुआत
पुणे वनडे में भारतीय टीम की सलामी जोड़ी ठोस शुरुआत देने में नाकाम रही थी. केएल राहुल और शिखर धवन को जोड़ी पूरी तरह से फ्लॉप रही थी. हालांकि ये दोनों बल्लेबाजों ने भी चोट से उबरने के बाद टीम में वापसी की है लेकिन इनका प्रदर्शन बिल्कुल फीका रहा. राहुल ने जहां महज 8 रन बनाए वहीं शिखर धवन 10 गेंदों पर 1 रन बनाकर डेविड विली का शिकार बने. अपने देश में ऐसा 12 साल बाद हुआ है जब भारतीय ओपनर्स टीम के लिए 10 रन नहीं जोड़ पाए हों. इससे पहले भारत के दोनों सलामी बल्लेबाजों के साथ ऐसा 2005 में हैदराबाद में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुआ था. उस वक्त दोनों मात्र 3 रन जोड़ पाए थे. इससे मिडिल ऑर्डर को नई गेंद का सामना करना पड़ा है. ये बहुत ही चिंताजनक है. ओपनिंग जोड़ी को कटक वनडे में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाना होगा.
2. सिर्फ कोहली का भरोसा करना ठीक नहीं
कप्तान विराट कोहली लगातार हर फॉर्मेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. लक्ष्य का पीछा करते समय उनका प्रदर्शन शानदार रहा है लेकिन ऐसा लगने लगा है कि पूरी टीम कोहली पर निर्भर होने लगी है. पुणे वनडे में अगर केदार जाधव (120 रन) ने कोहली का साथ नहीं दिया होता तो मैच का परिणाम कुछ और ही होता. ऐसे में मिडिल ऑर्डर को रन बनाने होंगे. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो टीम की मुश्किलें बढ़ना तय है.
3. गेंदबाजों को करनी होगी धारदार गेंदबाजी
इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में गेंदबाजों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था. स्पिन गेंदबाज अश्विन ने दमदार प्रदर्शन किया था. तेज गेंदबाजों ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया था. पहले वनडे में भारतीय गेंदबाज लय में नजर नहीं आए. उमेश यादव का प्रदर्शन तो बहुत ही निराशाजनक रहा था. उमेश ने 7 ओवर में 9 के इकोमोनी रेट से 63 रन दिए. जसप्रीत बुमराह ने 10 ओवर में 79 रन खर्च कर दिए. भारतीय गेंदबाजों के लचर प्रदर्शन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इंग्लैंड के अंतिम 8 ओवर में 105 रन ठोक दिए. यानी कुल 48 गेंदों ने भारतीय गेंदबाजों ने 108 रन दिए. 42वें ओवर में इंग्लैंड का स्कोर 242 रन था जो कि 50 ओवर में 350 रन हो गया.
4. इंग्लैंड का इस मैदान पर बेहतर रिकॉर्ड
वैसे भारत और इंग्लैंड के बीच इस मैदान पर अभी तक 4 वनडे हुए हैं जिनमें से दोनों टीमों ने 2-2 मैच जीते हैं. पिछला मैच 26 नवंबर 2008 को हुआ था जिसे भारत ने 6 विकेट से जीता था. वैसे इंग्लैंड इस मैदान पर कुल 5 मैच खेलकर 3 मैचों में जीत दर्ज कर चुका है. उसने 22 अक्टूबर 1989 को पाकिस्तान को 4 विकेट से हराया था.
5. मिडिल ऑर्डर भी संभाले जिम्मेदारी
किसी भी टीम की जीत में सबसे बड़ा योगदान ओपनिंग जोड़ी का होता है. इसके बाद मिडिल ऑर्डर के बल्लेबाज पारी को संवार दें तो जीत सुनिश्चित हो जाती हैं. भारत की चिंता यह है कि तीन वर्ष बाद वनडे टीम में वापसी करने वाले युवराज सिंह दबाव में खरे नहीं उतरे. युवराज ने 12 गेंदों में 15 रन बनाए. मैच फिनिशर के नाम से मशहूर महेंद्र सिंह धोनी भी टीम का साथ नहीं दे पाए. धोनी 9 साल बाद बतौर बल्लेबाज मैदान पर उतरे थे. आशा की जा रही थी कि वो आक्रामक क्रिकेट खेलेंगे लेकिन 12वें ओवर में जेक बॉल की गेंद पर पुल शॉट लगाने के प्रयास में अपना विकेट दे बैठे.
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