चेन्नई । तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने आज कहा कि जन आंदोलन और भावनाओं के ज्वार के चलते जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया और तमिलनाडु सरकार विधानसभा में तत्काल प्रभाव से एक विधेयक लाएगी जो अध्यादेश की जगह लेगा।
राव ने इस वर्ष विधानसभा के पहले सत्र में अपने अभिभाषण में कहा, ‘‘जल्लीकट्टू को आयोजित कराने और तमिल संस्कृति की विरासत को संरक्षित करने के लिए लाखों युवाओं की व्यवस्थित और शांतिपूर्ण संवेदनाओं और अभूतपूर्व भावनाओं को विश्वभर के तमिल लोगों का साथ मिला। इस जन आंदोलन के कारण जल्लीकट्टू पर लगे प्रतिबंध को हटाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।''
उन्होंने कहा कि सांडों की लड़ाई के इस वार्षिक खेल को आयोजित कराने के प्रयासों में समर्थन के लिए केंद्र का आश्वासन मिलने के बाद राज्य सरकार ने संवैधानिक मार्ग अपनाया और पशुओं के खिलाफ क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 1960 के संबंधित प्रावधानों में संशोधन करते हुये एक अध्यादेश जारी किया। राज्यपाल ने कल राज्य में जल्लीकट्टू आयोजित कराये जाने पर खुशी जतायी।
जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए शनिवार को अध्यादेश लाने के बाद कल राज्य के कई हिस्सों में इस पारंपरिक खेल का आयोजन कराया गया। उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2014 में इस पर रोक लगा दी थी।
राव ने कहा, ‘‘जल्लीकट्टू को आयोजित कराये जाने के स्थायी समाधान के तौर पर इस सदन के समक्ष तत्काल प्रभाव से अध्यादेश के स्थान पर एक विधेयक लाया जाएगा।'' राज्यपाल का अभिभाषण शुर होने के तुरंत बाद द्रमुक सदस्यों ने अपने नेता एम के स्टालिन के नेतृत्व में कुछ मुद्दों को उठाने की मांग की लेकिन राव अपना अभिभाषण पढते रहे जिसके बाद द्रमुक सदस्य सदन से वाकआउट कर गए। पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के पांच दिसंबर को निधन के बाद पहली बार विधानसभा का सत्र बुलाया गया है।
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