बराक ओबामा ने दिया पीएम मोदी को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद, तो चीन ने रायसीना डायलॉग की 'नमो' की बातों को ठहराया सही - JBP AWAAZ

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Thursday, 19 January 2017

बराक ओबामा ने दिया पीएम मोदी को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद, तो चीन ने रायसीना डायलॉग की 'नमो' की बातों को ठहराया सही

नई दिल्ली। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्र्पति बराक ओबामा ने बुधवार रात पीएम मोदी को फोन पर अमेरिका-भारत के रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए धन्यवाद कहा। वहीं चीन ने भी मोदी के रायसीना डायलोग में दिये गये बयान को सकारात्मक करार दिया। हालांकि अब भी एनएसजी और मसूूद अजहर के मामले को लेकर चीन अपने रुख पर कायम है।
ओबामा ने दोनों देशों के बीच रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा एवं लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने समेत सहयोग के साझे प्रयासों की समीक्षा की। ओबामा ने समीक्षा कर इन सभी प्रयासों को दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध बनाने वाला करार दिया। इससे इतर, चीन ने अपने बयान में पीएम मोदी के पड़ोसी देशों के हितों और संप्रभुता का ख्याल रखने वाले बयान को सकारात्मक करार दिया है। हालांकि, चीन एनएसजी मेंबरशिप के मामले और आतंकी मसूद अजहर के मामले पर अब भी अपने बयान पर ही कायम है। अपने एक और बयान में चीन ने भारत से अपने रिश्ते को लेकर कहा कि इससे दोनों देशों के बीच संबंधों पर असर नहीं पड़ना चाहिए। 
व्हाइटहाउस की खबरों के अनुसार ओबामा ने भारत को अमेरिका के एक बड़े रक्षा सहयोगी के तौर पर मान्यता देने वाला बताया। उन्होंने मोदी से जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती से निपटने समेत साझी आर्थिक एवं सुरक्षा प्राथमिकताओं पर चर्चा की। 
अमेरिकी राष्ट्र्पति ने एक ओर मोदी को बधाई दी वहीं चीन भारत के लिए अपना नज़रिया अपने बयान से दर्शा रहा था। चीन के इस बयान से अब भी यह समझा जा सकता है कि भारत के लिए चीन कैसी राजनीतिक सोच रखता है। चीन एक ओर तो मोदी के बयान को सकारात्मक ठहरा रहा है वहीं मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में कतरा रहा है। 
गौरतलब है कि चीन-पाक आर्थिक गलियारे पर भी भारत के विरोध को चीन ने दरकिनार कर दिया। चीन अब भी पीओके से चीन-पाक आर्थिक गलियारे के अपने कदम पर कायम है।
इस सबके बीच आपको बता दें कि मोदी और बराक ओबामा के बीच संबंध काफी बेहतर माने जाते हैं। मोदी के 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बनने पर ओबामा उन्हें सबसे पहले बधाई देने वालों में से एक थे। मोदी के सितंबर 2014 में हुए अमेरिका के दौरे के बाद दोनों की आठ बार और मुलाकात हो चुकी है जो कि एक रिकाॅर्ड है। उधर चीन और भारत के रिश्तों में सुधार करने की कवायदें की जा रही थीं पर चीन के इस रवैये को देखकर ऐसा कहना मुश्किल ही होगा। 

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