मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे पांच किलोमीटर की दूरी तक देशी और विदेशी शराब की दुकान नहीं होगी, जो दुकानें हैं, उन्हें भी जल्द ही बंद किया जाएगा. यह प्रावधान वर्ष 2017-18 की समग्र आबकारी नीति में किया गया है, जिसे राज्य कैबिनेट ने सोमवार को मंजूरी दी.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में समग्र आबकारी नीति अनुमोदित की गई. नीति में तय प्रावधानों के अनुसार, प्रदेश में इस वर्ष कोई नई शराब की दुकान नहीं खोली जाएगी. इसके साथ जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के परिपालन में 572 तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के परिपालन में 1427 दुकानों को हाईवे से 500 मीटर की दूरी पर विस्थापित किया जाएगा.
राज्य की समग्र आबकारी नीति तीन भागों मद्य संयम, राजस्व संग्रहण और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में विभाजित है. समाज में मदिरापान की प्रवृत्ति पर संयम के लिए जागरूकता की दृष्टि से प्रदेश में विभिन्न आयोजन एवं सेमिनारों सहित नशामुक्ति के लिए अभियान चलाया जाएगा. वर्ष 2017-18 के लिए होलोग्राम में अत्याधुनिक फीचर जोड़े जाएंगे. होलोग्राम की डुप्लीकेसी की संभावना को रोकने के लिए एसएमएस अलर्ट का प्रावधान रखा गया है. इसमें शराब के वैध स्रोत की जांच की व्यवस्था भी है.
मद्य संयम के अंतर्गत नशा मुक्ति के लिए सेमिनार आयोजित करने के साथ-साथ स्कूल, कॉलेज के सिलेबस में नशीले पदार्थों के सेवन से हानि के संबंध में जागरूक करने के लिए भी व्यवस्था की जाएगी. नीति में नशा करके ड्राइविंग करने पर पहली बार छह महीने तथा दूसरी बार दो साल के लिए ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित करने का प्रावधान भी रखा गया है.
तीसरी बार में ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने के लिए परिवहन विभाग को लिखा जाएगा. शराब की दुकानों के बोर्ड और शराब की बोतलों के लेवल पर 'शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक' होने संबंधी वैधानिक चेतावनी प्रमुखता से अंकित की जाएगी.
कैबिनेट के निर्णय के अनुसार, नर्मदा नदी से पांच किलोमीटर की परिधि में संचालित 12 जिलों की 58 शराब की दुकानों को बंद किया जाएगा. इनमें डिंडौरी, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, रायसेन, होशंगाबाद, सीहोर, हरदा, देवास, खंडवा, धार तथा खरगोन जिलों की 39 देशी और 19 विदेशी शराब की दुकानें शामिल हैं.
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