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Friday, 29 September 2017

अजन्मे बच्चों की 'कब्रगाह' बना भोपाल, हर रोज 38 अबॉर्शन

हर शहर एक राज लिए होता है. रोजमर्रा की आपाधापी और शोरगुल में कई ऐसी चीजें होती हैं जो चुपचाप दफन हो जाती हैं. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की भी एक स्याह सच्चाई है, जिसमें कई मासूमों की किलकारियां दफन हैं, जिसका शोर जिम्मेदारों के कानों तक नहीं पहुंच पा रहा है.

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से लेकर अन्य मंत्री बच्चों की सुरक्षा के लिए योजनाएं बनाते हैं, वही राजधानी अब अजन्मे बच्चों की कब्रगाह बन चुकी है. इंटरनेशनल सेफ अबॉर्शन डे पर न्यूज18आपको भोपाल की ऐसी ही स्याह सच्चाई से रूबरू कराने जा रहा है.

आपकों यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजधानी में पिछले एक साल यानि अप्रैल 2016 से मार्च 2017 के बीच 13959 अबॉर्शन हुए हैं. चौंकाने वाली बात यह भी है कि हर चौथी प्रेग्नेंट महिला का अबॉर्शन हो जाता है. राजधानी में औसतन हर दिन 38 अबॉर्शन हो रहे हैं.

सरकार से मिली जानकारी के अनुसार 1 अप्रैल 2016 से लेकर 31 मार्च 2017 के बीच राजधानी में 13959 एमटीपी यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी के मामले सामने आए हैं.
इसमें निजी संस्थाओं से 5018 अबॉर्शन कराए गए. प्रदेश के टॉप 10 जिलों की बात करें तो राजधानी भोपाल और अन्य शहरों के आंकड़ों में बड़ा अंतर साफ नजर आता है.

भोपाल में सबसे ज्यादा 13959 अबॉर्शन कराए गए हैं. वहीं दूसरे नंबर पर ग्वालियर में 6230 और फिर 5474 के आंकड़े के साथ धार का नंबर आता है. दूसरे और तीसरे स्थान पर आए दोनों ही जिले अबॉर्शन के आंकड़ों के हिसाब से राजधानी से कई गुना पीछे हैं. चौंकाने वाली बात है कि इंदौर जैसे प्रदेश के सबसे बड़े शहर में भी इस अवधि में अबॉर्शन के 1677 केस ही सामने आए हैं.

अबॉर्शन से जुड़ा चौंकाने वाला पहलू
अबॉर्शन और भोपाल से जुड़ा एक और पहलू काफी चौंकाने वाला है. प्राइवेट क्लिनिक और प्राइवेट अस्पताल में अबॉर्शन के मामलों में भोपाल अन्य जिलों से काफी आगे है.

इस मामले में प्रदेश सरकार लापरवाही बरत रही है. एक ओर सरकार बेटियों को बचाने का वादा करती है, दूसरी ओर उसकी नाक के नीचे इस तरह का गोरखधंधा चल रहा है.
— रोली शिवहरे,आरटीआई कार्यकर्ता

 
ये जान लेना बेहद जरूरी है कि किन हालात में अबॉर्शन हो रहा है. इसके लिए बाकायदा कानून बना हुआ है. इस दायरे से बाहर जाकर किया गया कोई भी अबॉर्शन न केवल गर्भवती की जिंदगी को खतरे में डाल सकता है, बल्कि ऐसा करना कानून का भी उल्लंघन होगा.
— डॉ. एसके सक्सेना, पूर्व सिविल सर्जन
 
 
कानूनी रूप से देखा जाए तो:
-12 सप्ताह के गर्भपात के लिए एक डॉक्टर की अनुमति जरूरी होती है. अगर गर्भ 20 सप्ताह का है तो 2 डॉक्टरों की सहमति से गर्भपात कराया जा सकता है.
-रेप विक्टिम को गर्भपात कराने की अनुमति है.
-गर्भपात उसी समय करा सकते हैं जब या तो मां को कोई गंभीर बीमारी हो या फिर बच्चा विकलांग या अविकसित हो या फिर मां की जान को इससे खतरा हो.
-गर्भपात सरकारी और निजी संस्था से करवाया जा सकता है.

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