नई दिल्ली। योग को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2014 में ही एक मुहिम छेड़ी है । इसके बाद यूएन ने 21 जून को पूरे विश्व में विश्वयोग दिवस मनाने का निर्णय पास किया था। जिसके बाद भारत में योग को लेकर काफी धूम शुरू हुई तो वहीं इसको एक आंदोलन के तौर पर लाने की कवायदें भी की जाने लगी। योग को लेकर कई तरह की योजनाएं और मांग भी की जाने लगी। योग का हमारे जीवन में बड़ा ही महत्व रहा है।
अब स्वास्थ्य को लेकर हर ओर जागरूकता फैल रही है। सरकार के साथ आम लोग भी इस जागरूकता के अभियान में लगे हैं। लोगों का मानना है कि योगा के जरिए हम अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं। इसलिए अब लोगों ने योगा को स्कूल में अनिवार्य करने के लिए कई बार सरकार से गुहार लगाई है। इसको लेकर कई बार सरकार के पास पत्र भेजा है। योग को विकसित करने और आम लोगों तक योग की पहुंच को बढ़ाने में सरकार लगी हुई है। सरकार ने इसे अब स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था के साथ लोगों की मांग के चलते जोड़ने का कदम उठाया है।
स्कूलों में कक्षा 1 से 8वी तक योग को अनिवार्य करने के खिलाफ कई समुदाय और राजनीति दलों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। इस बारे में सरकार के फैसले के खिलाफ एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली थी। इस मामले में केन्द्र सरकार ने खिलाफ जे सी सेठी ने 8 मार्च 2011 को ये याचिका दाखिल की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में सुनवाई कर याचिका खारिज कर दी है।
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