यूपी चुनाव: दूसरे चरण का प्रचार थमा, 67 में से 40 सीटों पर 'निर्णायक' मुस्लिम वोटर्स
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 15 फरवरी को जिन 67 सीटों पर मतदान होना है, वहां चुनाव प्रचार सोमवार शाम 5:00 बजे थम गया. 15 फरवरी यानी बुधवार को जिन के 11 जिलों में मतदान होना है, वो हैं- सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत, शाहजहांपुर, खीरी और बदायूं. दूसरे चरण में मतदाता 719 प्रत्याशियों में से अपने विधायक चुनेंगे.
मुस्लिम-यादव बहुल सीटें
दूसरे चरण में चुनाव समाजवादी पार्टी के गढ़ की ओर बढ़ गया है और यहां पर 6 जिलों में करीब 40 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता हार जीत को काफी हद तक तय कर देते हैं. इसी चरण में रामपुर में चुनाव होना है जहां देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता रहते हैं. दूसरा और तीसरा चरण समाजवादी पार्टी के लिए जीवन मरण का सवाल होगा. 2012 के विधानसभा चुनाव में इन इलाकों में समाजवादी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था. इसी चरण में बदायूं में भी चुनाव है जहां यादवों की बड़ी आबादी है. बदायूं की गुन्नौर सीट ऐसी है, जहां पूरे उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा यादव मतदाता रहते हैं और इस सीट को जीतना समाजवादी पार्टी के लिए नाक का सवाल माना जाता है.
दूसरे चरण में चुनाव समाजवादी पार्टी के गढ़ की ओर बढ़ गया है और यहां पर 6 जिलों में करीब 40 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता हार जीत को काफी हद तक तय कर देते हैं. इसी चरण में रामपुर में चुनाव होना है जहां देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता रहते हैं. दूसरा और तीसरा चरण समाजवादी पार्टी के लिए जीवन मरण का सवाल होगा. 2012 के विधानसभा चुनाव में इन इलाकों में समाजवादी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था. इसी चरण में बदायूं में भी चुनाव है जहां यादवों की बड़ी आबादी है. बदायूं की गुन्नौर सीट ऐसी है, जहां पूरे उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा यादव मतदाता रहते हैं और इस सीट को जीतना समाजवादी पार्टी के लिए नाक का सवाल माना जाता है.
समाजवादियों का गढ़
गुन्नौर सीट से खुद मुलायम सिंह यादव भी चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रामखिलाड़ी सिंह यादव को इस सीट पर एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. उनकी दबंग छवि को लेकर वोटरों में खासी नाराजगी है और उनकी जीत पक्की करने के लिए बदायूं के सांसद धर्मेंद्र यादव ताबड़तोड़ सभाएं कर रहे हैं. मौजूदा विधायक राम खिलाड़ी यादव को अब बीजेपी के उम्मीदवार अजित कुमार राजू से कड़ी टक्कर मिल रही है. अगर गुन्नौर सीट समाजवादी पार्टी से छीन जाती है तो यह उसके यह बहुत बड़ा झटका होगा.
गुन्नौर सीट से खुद मुलायम सिंह यादव भी चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रामखिलाड़ी सिंह यादव को इस सीट पर एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. उनकी दबंग छवि को लेकर वोटरों में खासी नाराजगी है और उनकी जीत पक्की करने के लिए बदायूं के सांसद धर्मेंद्र यादव ताबड़तोड़ सभाएं कर रहे हैं. मौजूदा विधायक राम खिलाड़ी यादव को अब बीजेपी के उम्मीदवार अजित कुमार राजू से कड़ी टक्कर मिल रही है. अगर गुन्नौर सीट समाजवादी पार्टी से छीन जाती है तो यह उसके यह बहुत बड़ा झटका होगा.
पहले चरण के मुकाबले जिन सीटों पर 15 फरवरी को मतदान होना है वहां बिजनौर को छोड़कर दूसरे जिलों में जाट मतदाताओं की संख्या कम है. बिजनौर में 10 तारीख को एक बच्चे की जान चली गई, जिसको लेकर इस पूरे इलाके में तनाव है. इसका असर मतदान के दिन भी देखने को मिल सकता है.
दूसरे चरण में रूहेलखंड के जिन इलाकों में चुनाव होना है उसे मुस्लिम राजनीति का बैरोमीटर भी कहा जाता है. मुसलमानों के दो बड़े केंद्र बरेली और देवबंद दोनों दूसरे चरण में ही आते हैं. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों की यह कोशिश होगी कि इस चरण में मुस्लिम मतदाताओं के वोट का तोहफा उनकी झोली में आए.
आजम की लोकप्रियता दांव पर
सहारनपुर में विवादों में रहने वाले कांग्रेस के नेता इमरान मसूद चुनाव मैदान में हैं तो रामपुर में कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान खुद ही एक मुद्दा हैं. रामपुर की स्वार सीट से पहली बार आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम अपनी किस्मत आजमाएंगे. वह पहली बार चुनाव मैदान में हैं, लेकिन इस सीट से मौजूदा विधायक काजिम अली को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता बेगम नूरबानो के बेटे और नावेद मियां के नाम से मशहूर काजि़म अली अब कांग्रेस छोड़कर बीएसपी में शामिल हो चुके हैं.
सहारनपुर में विवादों में रहने वाले कांग्रेस के नेता इमरान मसूद चुनाव मैदान में हैं तो रामपुर में कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान खुद ही एक मुद्दा हैं. रामपुर की स्वार सीट से पहली बार आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम अपनी किस्मत आजमाएंगे. वह पहली बार चुनाव मैदान में हैं, लेकिन इस सीट से मौजूदा विधायक काजिम अली को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता बेगम नूरबानो के बेटे और नावेद मियां के नाम से मशहूर काजि़म अली अब कांग्रेस छोड़कर बीएसपी में शामिल हो चुके हैं.
लेकिन इस बार खुद आजम खान भी चर्चा में हैं. रामपुर में विकास का काम तो खूब हुआ है, लेकिन आजम खान का दबदबा और बुलडोजर प्रेम की सुगबुगाहट लोगों में खूब है. आजम खान को उनकी सीट पर चुनौती दे रहे हैं इस इलाके के लोकप्रिय डॉक्टर तनवीर जो बीएसपी के उम्मीदवार हैं. आज़म खान उन्हें दो बार जेल भिजवा चुके हैं. डॉक्टर तनवीर पिछली बार भी आजम खान के खिलाफ चुनाव लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे थे. आजम खान न सिर्फ समाजवादी पार्टी के मुस्लिम चेहरा हैं, बल्कि सात बार यह विधानसभा सीट जीत चुके हैं. रामपुर के सभी विधानसभा सीटों पर उनकी लोकप्रियता दांव पर होगी.
एक गांव के तीन दिग्गज
शाहजहांपुर में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद अपनी तिलहर सीट से विधानसभा पहुंचने की कोशिश करेंगे. बरेली की नवाबगंज सीट भी चर्चा में है जहां पर ऐन चुनाव के पहले बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए केसर सिंह को टिकट मिला है. इस सीट की खास की खास बात यह है कि यहां पर बीजेपी के उम्मीदवार केसर सिंह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार भगवत शरण गंगवार और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह गंगवार तीनों एक ही गांव अहमदाबाद के रहने वाले हैं.
शाहजहांपुर में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद अपनी तिलहर सीट से विधानसभा पहुंचने की कोशिश करेंगे. बरेली की नवाबगंज सीट भी चर्चा में है जहां पर ऐन चुनाव के पहले बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए केसर सिंह को टिकट मिला है. इस सीट की खास की खास बात यह है कि यहां पर बीजेपी के उम्मीदवार केसर सिंह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार भगवत शरण गंगवार और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह गंगवार तीनों एक ही गांव अहमदाबाद के रहने वाले हैं.
नवाबगंज सीट पर पहले समाजवादी पार्टी ने शिवपाल यादव की विश्वासपात्र शाहिला ताहिर को टिकट दिया था. लेकिन अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान संभालने के बाद साहिला ताहिर की छुट्टी कर दी और भगवत शरण गंगवार को मैदान में उतारा. अब वह तौकीर रजा की पार्टी इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.
बरेली के आसपास के इलाकों में गंगवार कुर्मी मतदाताओं की बड़ी आबादी है. उनका वोट हासिल करने की कोशिश समाजवादी पार्टी के अलावा बीजेपी भी जोर शोर से कर रही हैं. पहले चरण के मतदान के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि दूसरे चरण में उनका मुकाबला बीएसपी से है.
मायावती की रणनीति की परीक्षा
लेकिन अमित शाह ऐसा जानबूझकर एक रणनीति के तहत कह रहे हैं. दरअसल बीजेपी नहीं चाहती कि मुस्लिम मतदाताओं का रुझान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की तरफ पूरी तरह हो जाए. बीएसपी इस इलाके में मजबूती से चुनाव लड़ती है तो बीजेपी को भी फायदा होगा. इसीलिए दूसरे चरण में भी मुस्लिम मतदाताओं के रुझान पर सब की नजर होगी. इसी चरण से यह बात भी साफ हो जाएगी कि सौ मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की मायावती की रणनीति कामयाब हो रही है या नहीं.
लेकिन अमित शाह ऐसा जानबूझकर एक रणनीति के तहत कह रहे हैं. दरअसल बीजेपी नहीं चाहती कि मुस्लिम मतदाताओं का रुझान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की तरफ पूरी तरह हो जाए. बीएसपी इस इलाके में मजबूती से चुनाव लड़ती है तो बीजेपी को भी फायदा होगा. इसीलिए दूसरे चरण में भी मुस्लिम मतदाताओं के रुझान पर सब की नजर होगी. इसी चरण से यह बात भी साफ हो जाएगी कि सौ मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की मायावती की रणनीति कामयाब हो रही है या नहीं.
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