नई दिल्ली: अबतक अगर आप किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो आपको फुल या हाफ़ प्लेट के हिसाब से ही ऑर्डर देना पड़ता है। ऐसे में कई बार खाना आपकी आवश्यकता से अधिक या कम भी हो जाता है। मसलन आपने खाना फुल प्लेट ऑर्डर किया लेकिन आपकी आवश्कता उतनी नहीं है और आपने हॉफ़ प्लेट ऑर्डर किया तो आपकी आवश्कता से वो कम है। दोनों ही हालत में आपको पैसा पूरा देना पड़ता है। यानि फुल प्लेट लेने पर फुल प्लेट का पैसा और हॉफ लेने पर हॉफ़ का पैसा।
दरअसल उपभोक्ता मंत्रालय एक ऐसे प्रस्ताव पर काम कर रहा है, जिसमें खाना कितना खाएं ये रेस्टोरेंट नहीं बल्कि ग्राहक तय करेगा। प्रस्ताव के मुताबिक़, खाने की मात्रा तय करने का विकल्प ग्राहकों के पास रहेगा और वो ही तय करेंगे कि उनके भोजन की मात्रा क्या होगी।मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक़, भोजना की मात्रा ग्राम या लीटर में भी हो सकती है। मंत्रालय के मुताबिक़, दुनिया के कई देशों में इस तरह की व्यवस्था पहले से ही चल रही है और ये ग्राहकों के हित में है।
खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने मंत्रालय के अधिकारियों को इस मामले में नियम बनाने को कहा है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नियम बनाते समय दूसरे देशों में चल रही ऐसे नियमों का अध्यन किया जाएगा। साथ ही, रेस्टोरेंट संगठनों और ग्राहकों से जुड़े संगठनों से भी बातचीत की जाएगी।
दरअसल उपभोक्ता मंत्रालय एक ऐसे प्रस्ताव पर काम कर रहा है, जिसमें खाना कितना खाएं ये रेस्टोरेंट नहीं बल्कि ग्राहक तय करेगा। प्रस्ताव के मुताबिक़, खाने की मात्रा तय करने का विकल्प ग्राहकों के पास रहेगा और वो ही तय करेंगे कि उनके भोजन की मात्रा क्या होगी।मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक़, भोजना की मात्रा ग्राम या लीटर में भी हो सकती है। मंत्रालय के मुताबिक़, दुनिया के कई देशों में इस तरह की व्यवस्था पहले से ही चल रही है और ये ग्राहकों के हित में है।
खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने मंत्रालय के अधिकारियों को इस मामले में नियम बनाने को कहा है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नियम बनाते समय दूसरे देशों में चल रही ऐसे नियमों का अध्यन किया जाएगा। साथ ही, रेस्टोरेंट संगठनों और ग्राहकों से जुड़े संगठनों से भी बातचीत की जाएगी।
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