लखनऊ । यूपी के चुनावी रण के लिए बनने वाला महागठबंधन लगता है बनने से पहले ही दरक गया है। सपा द्वारा इस गठबंधन से रालोद को बाहर रखने के बाद अब कांग्रेस के अस्तित्व को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। सपा के नवनियुक्त अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को 191 सीटों पर उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट जारी की है उसमें कई सीटें ऐसी हैं जिनपर महागठबंधन की शर्तों के अनुसार सपा को अपने उम्मीदवार नहीं उतारने थे। इस बीच सपा के के वरिष्ठ नेता किरणमाय नंदा का बयान आया है कि कांग्रेस का यूपी में सिर्फ 54 सीटों पर ही हक बनता है।
पहले रालोद से बिगड़े समीकरण, अब कहीं कांग्रेस से तो नहीं..
बता दें कि यूपी में भाजपा को रोकने के लिए महागठबंधन की रणनीति बनाई जा रही थी। इसमें सीटों के बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध के चलते अभी तक इस गठबंधन का ऐलान नहीं किया गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की नाराजगी और रालोद के साथ सीटों का समीकरण ठीक नहीं बैठने के मद्देनजर रालोद को इस गठबंधन से बाहर ही रखा गया। बात कांग्रेस की करें तो जहां कांग्रेस 100 सीटों की मांग पर अड़ी थी वहीं सपा पूर्व में 85 सीट छोड़ने की बात कहती नजर आई।
कांग्रेस की जीती सीटों पर भी उतारे उम्मीदवार
अब सपा की जारी लिस्ट ने इस गठबंधन को लेकर संशय पैदा कर दिया है। असल में समाजवादी पार्टी ने गाजियाबाद, लोनी, नोएडा, मोदीनगर, साहिबाबाद, मुरादनगर, सिकंदराबाद जैसे विधानसभा सीट पर भी अपने उम्मीदवार उतार दिया है। गठबंधन के लिए निर्धारित शर्तों के अनुसार, सपा को ये सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ने की बात कही जा रही थी। इन सीटों पर कांग्रेस के विधायक जीते हुए हैं। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदीप माथुर, जो मथुरा सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं वहां पर भी समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतार दिया हैं ।
दरवाजे अभी बंद नहीं हुए
इस पूरे प्रकरण पर सपा के वरिष्ठ नेता किरणमॉय नंदा ने कहा की समाजवादी पार्टी दबाव में गठबंधन नहीं करेगी । हालांकि कांग्रेस के लिए सभी दरवाजे बंद नहीं हुए हैं। कहा जा रहा है कि जिन सीटों पर समझौता होगा उन सीटों से पार्टी अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले सकती हैं ।
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