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Saturday 17 December 2016

खर्राटों से आपकी भी नींद हो रही है खराब, ऐसे मिल सकती है खर्राटों से निजात

खर्राटे नींद से संबंधित एक ऐसी समस्या है जो पीड़ित के साथ साथ आसपास के लोगो के लिए भी परेशानी बन जाती है। कभी कभी यह पीड़ित की नींद ख़राब कर देता है और नींद न पूरी होने की वजह से उसे दिन में थकान लगती है। इसे कई जीवन शैली के कारक होते हैं जो खर्राटों की सम्भावना को बड़ा देते हैं, हालांकि इन्हे बदला भी जा सकता है।


क्यों आते हैं खर्राटे


खर्राटे एक तरह ध्वनि होती है ये तब उत्पन्न होती है, जब व्यक्ति नींद के दौरान अपनी नाक और गले के माध्यम से स्वतंत्र रूप से हवा नहीं ले पाता। यह आसपास के ऊतकों के कांपने से बनती है। जो लोग अक्सर बहुत ज्यादा खर्राटे लेते हैं उनके गले और नाक के ऊतक में बहुत ज्यादा कंपन होता है| इसके अलावा व्यक्ति की जीभ की स्थिति भी सांस लेने के रास्ते में आ सकती है।


कैसे रोकें खर्राटे


इसे ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया के नाम से भी जाना जाता है| खर्राटों को रोकने के लिए और इसके इलाज के लिए आवश्यक है कि सबसे पहले ये पता लगाया कि लोग खर्राटे क्यों लेते है| यदि आप या आपके करीबी लोग नियमित रूप से खर्राटे लेते हैं, तो यह समय है इस समस्या को खत्म करने का।


अधिक वजन या आकार से बाहर होना


वसा उत्तक और कमजोर मांसपेशी भी खर्राटों के लिए योगदान करते हैं। यहां तक कि अगर आप का अधिक वजन नहीं है, पर सिर्फ आपकी गर्दन या गले के चारों ओर अधिक वजन है तो खर्राटे हो सकते हैं।


उम्र का बढ़ना


जैसे जैसे आप वयस्क होते जाते है आपका गला संकरा होता जाता है और अपने गले में मांसपेशी ढीली हो जाती है। और जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे आपकी जीवन शैली और सोने की दिन चर्या बदलती जाती है। खर्राटे लेने का यह भी एक कारण हो सकता है।


शरीर का आकार


पुरुषों का वायु मार्ग महिलाओं की तुलना में संकरा होता है, इसलिए पुरुषों में खर्राटे की संभावना अधिक होती है। एक संकीर्ण गला, खण्‍डतालु, बढ़े हुए कंठशूल, और अन्य भौतिक गुण खर्राटों के लिए के लिए जिम्मेदार होते है| इसके पीछे का कारण ज्यादातर अनुवांशिक होता है|


नाक और साइनस की समस्या


हवा का अवरोधित बहाव और भरी हुई नाक सांस लेने में मुश्किल पैदा करती है और गले में एक निर्वात पैदा करती है जो खर्राटों को बढ़ावा देती है। इसके अलावा शराब, धूम्रपान, और दवाएं: शराब का सेवन, धूम्रपान, और कुछ दवाएं जैसे कि- lorazepam (Ativan) और diazepam (Valium) आदि, मांसपेशियों को बढ़ा सकते है जिससे खर्राटे की समस्या को बढ़ावा मिलता है।


सोने की मुद्रा


पेट के बल सोने से आपके गले का मांस हवा के बहाव को रोक सकता है, ऐसी स्थिति में सोने की मुद्रा में बदलाव करके आप खर्राटों से बच सकते हैं।


अलग-अलग पोजिशन अपनाएं


वैसे तो पीठ के बल सोना ही सोने का आदर्श तरीका है लेकिन कई बार इस मुद्रा में सोने से खर्राटे की आशंका बढ़ जाती है। इस मुद्रा में तालु व जीभ गले के ऊपरी भाग पर होते हैं। इससे ऊंची पिच में ध्वनि उत्पन्न होती है और यह खर्राटों में तब्दील हो जाती है। आप अगर करवट के बल सोएंगे तो खर्राटों की आशंका कम होगी।


वजन घटाएं


आपने कभी गौर किया हो तो हमेशा खर्राटे लेने वाले लोग अधिकतर मोटापे के शिकार हैं। ऐसे में गले के आस-पास बहुत अधिक वसा युक्त कोशिकाएं जमा हो जाती हैं, जिनसे गले में सिकुड़न होती है और खर्राटे की ध्वनि निकलती है। यह हवा के रास्ते को भी रोकता है जिससे भी सोते वक्त खर्राटे अधिक होते हैं। तो अगर आप खर्राटे से छुटकारा चाहते हैं तो वजन जरूर घटाएं।


सोने से पहले न लें अल्कोहल


कई दर्द निवारक दवाओं की तरह ही अल्कोहल भी शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव को कम करती है और उन्हें विस्तार देती है। कई बार बहुत अधिक अल्कोहल के सेवन से गले की मांसपेशियां फैल जाती हैं जिससे खर्राटे उत्पन्न हो सकते हैं। तो सोते वक्त हो सकें तो अल्कोहल से बचें या फिर सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें।


धूम्रपान से बचें


धूम्रपान का फेफड़े पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे फेफड़े की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को सोते वक्त ऑक्सीजन की कमी लगती है। इस स्थिति‌ को स्लीप ऐप्नीआ यानी निद्रा अश्वसन कहते हैं। इस स्थिति में कई बार ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए भी शरीर खर्राटे लेता है।


साइनस भी है वजह


खर्राटे की एक वजह साइनस बढ़ने से नाक के छिद्रों का जाम हो जाना भी हो सकती है। इतना ही नहीं, खर्राटे की ध्वनि बढ़ने पर भी नाक के रास्ते का प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अगर आप साइनस के मरीज हैं तो सावधानियां हमेशा बरतें। यदि आपको जुकाम हुआ है या साइनस बढ़ने से परेशान हैं तो सोने के पहले भाप जरूर लें जिससे सारी गंदगी बाहर आ जाए और सांस लेने में आसानी हो।


तकिये पर भी दें ध्यान


अगर आप अपनी तकिया की खोल को समय-समय पर नहीं बदलते या साफ नहीं करते तो हो सकता है कि आप के खर्राटों की एक वजह यह भी हो। कई बार सिर से रूसी या बाल तकिया पर गिरे होते हैं जो कई सूक्ष्म जीवों के लिए जमीन तैयार कर देते हैं। जब हम सांस लेते हैं तो ये एलर्जी शरीर की श्वास संबंधी क्षमता को खत्म कर देती है जिससे निद्रा अश्वसन या स्लीप ऐपनीआ की समस्या होती है और खर्राटे तेज हो जाते हैं।


ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं


जब आपके शरीर में पानी की कमी होती है तो नाक के रास्ते की नमी सूख जाती है। ऐसे में साइनस हवा की गति को श्वास तंत्र में पहुंचने के बीच में सहयोग नहीं कर पाता। ऐसे में सांस लेना कठिन हो जाता है और खर्राटे की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। ऐसे में पूरे दिन भरपूर मात्रा में पानी पीएं, सेहतमंद रहें और खर्राटे से कोसों दूर रहें।


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